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Tuesday, 2 August 2011
अनुबंधित अध्यापक अब चले गांधीगीरी की राह
नियमित न किए जाने से खफा 500 अनुबंधित अध्यापकों ने रविवार को जिला सचिवालय के सामने 24 घंटे का सामूहिक उपवास रखा। इस सत्याग्रह को राजनीतिक पार्टियों के अलावा कर्मचारी और सामाजिक संगठनों ने भी समर्थन दिया है। 92 वर्षीय बुजुर्ग कामरेड गिरवर सिंह ने जहां सारा दिन उपवास पर बैठकर अनशनकारियों का साथ दिया, वहीं पूर्व शिक्षक रामेश्वर कौशिक ने आमरण अनशन पर बैठने की इच्छा जाहिर की। अनाज मंडी में जमा जिले भर के अनुबंधित अध्यापकों को संबोधित करते हुए राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र थिलोड़ ने कहा कि सरकार केवल संघर्ष की भाषा समझती है। अनुबंधित अध्यापकों ने सरकारी स्कूलों में अपनी पात्रता सिद्ध कर दी है, मगर फिर भी उनका शोषण किया जा रहा है। यदि जल्द उन्हें नियमित नहीं किया गया तो प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। पूर्व विधायक कंवरपाल व हजकां नेता कृपाल गिल ने कहा कि अनुबंधित अध्यापकों को पक्का किया जाना चाहिए ताकि वह बिना किसी तनाव के कार्य कर सकें। संघ के अध्यक्ष सतपाल शर्मा, प्रदेश सचिव भूपेंद्र सिंह, कार्यक्रम संयोजक संत कुमार ने कहा कि अनुबंधित अध्यापक स्थायी होने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। इसके लिए प्रदेश के समस्त मंडलों में सत्याग्रह किया जा रहा है। अध्यापक नेता मोहनलाल भारद्वाज व प्रदेश कमेटी सदस्य डॉ. कृष्णपाल ने कहा कि जिले से संघर्ष की लड़ाई आरंभ हो चुकी है जो निरंतर जारी रहेगी। इससे पहले धरने पर बैठे अनुबंधित अध्यापकों ने पुण्यतिथि पर शहीद ऊधम सिंह और अतिथि अध्यापिका राजरानी को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर घनश्याम दास, संगठन के कुरुक्षेत्र प्रधान रामफल, प्रेस सचिव रविंद्र, शिव कुमार, बलदेव शास्त्री, राजेश शास्त्री, अनिल जटियान, जसबीर चिक्कन, अशोक आदि ने भी विचार रखे।
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