धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल (संध्या) में करना चाहिए। लक्ष्मी उपासना का यही मुख्य समय माना गया है। अमावस्या अंधकार की रात्रि है। माता लक्ष्मी को समस्त संसार व चराचर को आलौकिक करने वाली देवी माना गया है। अतः संध्या काल में दीप प्रज्ज्वलित कर लक्ष्मी पूजन करने का उत्तम समय है।
पूर्वाभिमुख होकर करें पूजन : दिवाली पर माता लक्ष्मी के साथ लोक परंपरा अनुसार गुजरी के पूजन का महत्व है। माता लक्ष्मी का पूजन पूर्वाभिमुख होकर करना चाहिए। पूजन के समय सपरिवार माता की आराधना करें। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजन कभी भी नहीं करना चाहिए।

पति के पूर्व जागती है पत्नी : दीपावली पर माता लक्ष्मी का पूजन धर्म व संस्कृति के साथ भारतीय परंपरा के महत्व को भी प्रतिपादित करता है। भारतीय परंपरा में पति से पूर्व पत्नी जागती है तथा घर की साफ-सफाई कर पति को जगाती है।
उसी अनुक्रम में दिवाली को देखा जा सकता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन होता है अर्थात माता लक्ष्मी पहले जाग जाती है। दिवाली से ग्यारह दिन पश्चात देवउठनी एकादशी आती है। धर्म शास्त्र की मान्यता अनुसार उस दिन भगवान श्री विष्णु जागते हैं।
दीपावली पूजन विशेष मुहूर्त
प्रदोष समय- संध्या 5.50 से 7.02 बजे तक
प्रातः 6.32 से 9.22 बजे तक लाभ-अमृत
प्रातः 10.47 से 12.12 बजे तक शुभ
अपराह्न 3.02 से 5.05 बजे तक चंचल, लाभ
रात्रि 7.25 से 12.10 बजे तक शुभ, अमृत, चंचल
रात्रि 3.20 से 4 .55 बजे तक लाभ
स्थिर वृषभ लग्न
रात्रि 7.08 से 9.07 बजे तक
सिंह स्थिर लग्न
रात्रि 1.35 से 3.47 बजे तक।
No comments:
Post a Comment