घर के आसपास ही स्थानांतरण कराकर सरकारी सुख-सुविधाओं का लाभ लेने वाले शिक्षकों के प्रति प्रदेश सरकार ने अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। भविष्य में कोई भी स्थानांतरण व्यक्तिगत वजह से नहीं बल्कि स्कूलों की जरूरत के हिसाब से ही किया जाएगा। एक सप्ताह के भीतर इस निर्णय को क्रियान्वित कर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बच्चों के भविष्य से बेखबर सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक इसी जुगाड़ में लगे रहते हैं कि उन्हें अपने घर के आसपास का ही कोई स्कूल मिल जाए। शिक्षकों की यह लालसा सरकार के लिए नासूर बन गई है। आलम यह है कि तबादलों के ही लगभग तीन हजार
मामलों में सरकार अदालत की अवमानना भी झेल रही है। ऐसे में पिछले हफ्ते ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल की काफी लंबी मंत्रणा हुई। इस मंत्रणा में तय किया गया कि निहित स्वार्थो के लिए अब कोई तबादला नहीं किया जाएगा। या तो इसके पीछे कोई बहुत तार्किक कारण होना चाहिए अथवा अब सभी स्थानांतरण स्कूलों की जरूरत के आधार पर ही किए जाएंगे भले ही यह जरूरत प्रदेश में कहीं भी हो। शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने बताया कि शिक्षकों की सुख सुविधाओं के कारण बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस स्कूल में जिस विषय के शिक्षक की जरूरत होगी उसे वहीं भेजा जाएगा। भले ही वह स्कूल दूर हो या पास। स्कूलों की जरूरत के अनुरूप ही विषयवार शिक्षकों की सूची तैयार की जा रही है। एक सप्ताह के भीतर इन शिक्षकों को उसी के अनुरूप स्कूलों में भेज दिया जाएगा। ऐसा करते हुए केवल बच्चों का ही ख्याल रखा जाएगा, शिक्षकों के निजी हितों का नहीं। प्रदेश में शिक्षा का स्तर हर हाल में सुधारा जाएगा।
मामलों में सरकार अदालत की अवमानना भी झेल रही है। ऐसे में पिछले हफ्ते ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल की काफी लंबी मंत्रणा हुई। इस मंत्रणा में तय किया गया कि निहित स्वार्थो के लिए अब कोई तबादला नहीं किया जाएगा। या तो इसके पीछे कोई बहुत तार्किक कारण होना चाहिए अथवा अब सभी स्थानांतरण स्कूलों की जरूरत के आधार पर ही किए जाएंगे भले ही यह जरूरत प्रदेश में कहीं भी हो। शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने बताया कि शिक्षकों की सुख सुविधाओं के कारण बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस स्कूल में जिस विषय के शिक्षक की जरूरत होगी उसे वहीं भेजा जाएगा। भले ही वह स्कूल दूर हो या पास। स्कूलों की जरूरत के अनुरूप ही विषयवार शिक्षकों की सूची तैयार की जा रही है। एक सप्ताह के भीतर इन शिक्षकों को उसी के अनुरूप स्कूलों में भेज दिया जाएगा। ऐसा करते हुए केवल बच्चों का ही ख्याल रखा जाएगा, शिक्षकों के निजी हितों का नहीं। प्रदेश में शिक्षा का स्तर हर हाल में सुधारा जाएगा।
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