Thursday, 18 August 2011

खेल नीति पर भारी पड़ सकता है ऑनलाइन पंजीकरण

विभाग व खिलाडि़यों की सुविधा के लिए शुरू की गई पंचायत युवा खेल अभियान (पायका) के खिलाडि़यों के ऑनलाइन पंजीकरण की नई योजना पायका की सेहत पर भारी भी पड़ सकती है। आने वाले कुछ दिनों में ही नई नीति के प्रभाव स्पष्ट रूप से सामने आने शुरू हो जाएंगे। खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग ने ग्रामीण अंचल में खेलों को बढ़ावा देने के लिए पायका खेल प्रतियोगिता शुरू की थी। पायका में अक्सर कम लागत वाले खेलों को शामिल किया जाता है तथा इसके तहत 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के युवा खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकते हैं। विभाग द्वारा इस बार स्वयं व खिलाडि़यों की सुविधा के लिए का हवाला देते हुए पायका के लिए खिलाडि़यों का ऑनलाइन पंजीकरण की नीति की सेहत बिगाड़ सकती है। अक्सर देखने में आता है कि प्रदेश की अधिकतर पंचायतें खेलों के प्रति अधिक रुचि नहीं दिखातीं। इस कारण खेल विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं में खेलों के प्रति अधिक रुझान वाले गिने चुने गांवों की टीमें ही भाग ले पाती हैं। ऐसे में खिलाडि़यों के आनलाइन पंजीकरण की नई नीति से पायका की सेहत बिगड़ जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है। भले ही आज हम 21वीं सदी में जी रहे हों, परंतु ग्रामीण आबादी आज भी 90 के दशक से बाहर नहीं निकल पाई है। नई योजना से अनजान व सुविधाओं के अभाव में खिलाडि़यों द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण करा पाना आसान नहीं है। हिसार की ही बात करें तो जिले के अधिकतर गांवों के खिलाडि़यों का मंगलवार से शुरू होने वाली खंडस्तरीय प्रतियोगिताओं के बारे में पता ही नहीं है, तो ऑनलाइन पंजीकरण कैसे हो पाएगा।

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