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Thursday, 4 August 2011
गुरुजी की व्यथा:EDITORIAL OF DAINIK JAGRAN 3 august
किसी ने कहा कि एक ही हांडी में दो पेट, कोई बोला सिक्के का एक पहलू उजला, दूसरा स्याह, किसी ने दुहाई दी-कहीं धूप-कहीं छांव। सचमुच विचारणीय है प्रदेश में अनुबंध अध्यापकों की दशा। उनका उलाहना किसी हद तक उचित माना जा सकता है कि जेबीटी अध्यापकों पर सरकार दिल खोल कर मेहरबानियों की अशर्फियां लुटा रही है, लेकिन अनुबंधित अध्यापकों की स्थिति हवेली के उस नौकर जैसी है जिसे साहूकार बार-बार यह कह कर टरका देता है कि इस बार खर्च ज्यादा हो गया है, अगले वर्ष तुम्हारे बारे में सोचेंगे। प्रदेश सरकार ने 23 हजार नए शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की है। अभी कुछ माह पूर्व 16 हजार से अधिक जेबीटी अध्यापक लगाए गए थे। अनुबंधित अध्यापकों को शायद कुछ उम्मीद बंधी है कि अगले कुछ महीनों में उनकी नैया पार हो जाएगी। पहले उन्हें पीरियड के आधार पर भुगतान किया गया, फिर एकमुश्त वेतन कर दिया गया। कभी गेस्ट तो कभी अनुबंधित के तौर पर पहचान बनी। नियुक्ति के लिए ग्राम समिति तो कभी ब्लाक शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और शिक्षा निदेशक की कसौटियों पर खरे उतरने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। इसके बाद भी नियमित होने के लिए अनुबंधित अध्यापकों ने गांधीगीरी दिखाने की ठानी है जिसे उनके धैर्य और उम्मीद के रूप में देखा जाना चाहिए। यमुनानगर में 500 से अधिक अनुबंधित अध्यापकों ने जिला सचिवालय के सामने 24 घंटे का सामूहिक उपवास रख सरकार तक अपनी व्यथा पहुंचाने की कोशिश की। लगभग हर जिले में अनुबंधित अध्यापक विभिन्न मंचों से अपना रोष प्रदर्शित कर रहे हैं। अनुबंधित अध्यापकों की अवधारणा 1996 में पहली बार नियोजित रूप में आई। तब 89 दिन के लिए उन स्कूलों में अध्यापक लगाए गए थे, जहां स्थायी शिक्षकों की कमी थी। कोर्ट के निर्देशानुसार 1996 में लगे सभी अध्यापक नियमित हो गए परंतु इस बार स्थिति विपरीत है। हाइकोर्ट ने 31 मार्च 2012 के बाद किसी भी गेस्ट या अनुबंधित अध्यापक का अनुबंध बढ़ाने पर रोक लगा दी है। सरकार को चाहिए कि तमाम शर्ते पूरी करने वाले अध्यापकों को नियमित करे ताकि शिक्षण कार्य प्रभावित न हो और अनिश्चतता समाप्त हो। अनुबंधित के साथ पात्रता परीक्षा पास या भावी शिक्षकों का समायोजन भी सरकार के सामने चुनौती होगी। गेस्ट टीचरों की नियुक्ति में राजनैतिक दखल के आरोपों से साख को पहुंची क्षति को भी दुरुस्त करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए।
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