Thursday, 6 October 2011

GOVT.TRYING TO MAKE RTI WEAKER

देश में भ्रष्टाचार उजागर करने का बड़ा हथियार बन चुके सूचना अधिकार कानून (आरटीआइ) की धार कुंद करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने कहा कि आरटीआइ से जुड़े मामलों को देखने वाले अफसरों को सिर्फ वही सूचनाएं देनी चाहिए जो रिकार्ड में दर्ज हो। अधिकारियों को आवेदक की ओर से पूछे गए काल्पनिक प्रश्नों पर अपने विचार या सुझाव नहीं रखने चाहिए और ऐसे प्रश्नों का जवाब नहीं देना चाहिए। डीओपीटी ने 16 सितंबर को जारी परिपत्र में कहा है कि जनसंपर्क अधिकारी को सूचनाएं सृजित नहीं करनी चाहिए। उन्हें सूचनाओं की
व्याख्या,आवेदकों की समस्याओं के हल का प्रयास नहीं करना। अफसर केवल ऐसी सूचनाएं उपलब्ध करा सकते हैं जो अधिनियम के तहत लोक प्राधिकार के पास उपलब्ध हों। विभाग का कहना है कि आरटीआइ एक्ट के अनुसार, सूचनाओं में ऐसी जानकारी शामिल है जो रिकार्ड, दस्तावेज, मेमो, ईमेल, विचारों, सुझावों, प्रेस विज्ञप्तियों,परिपत्रों, आदेशों, लॉगबुक, अनुबंध, रिपोर्ट, नमूना, मॉडल, आंकड़ों आदि के रूप में दर्ज हो। केंद्रीय सूचना आयुक्त ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस अधिनियम में विचार और सुझाव शब्द का अर्थ रिकार्ड में दर्ज बातों से है। इसका मतलब जनसंपर्क अधिकारी द्वारा आवेदक के प्रश्न का जवाब नहीं है।

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