Sunday, 6 November 2011

SUPREME COURT DECISION AGAINST 44 DEEMAD UNIVERSITIES

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति ने देशभर के 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों को जबरदस्त झटका दिया है। समिति ने इससे पूर्व गठित रिव्यू कमेटी के उन विचारों से सहमति जताई है जिनमें कहा गया था कि ये विश्वविद्यालय डीम्ड के दर्जे के लायक अपेक्षित मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने इन डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता खत्म करने की मांग की है।
कमेटी ऑफ आफिसर्स ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उसमें कहा गया है, ‘विशेषज्ञ समिति ने इस बारे में जो निष्कर्ष निकाला था उससे अलग राय रखने का कोई मतलब नहीं है। विशेषज्ञ समिति में अकादमिक विशेषज्ञ शामिल थे।
’ एक अनुमान के मुताबिक देशभर में दो लाख विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में कई पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं।
इससे पूर्व प्रोफेसर टंडन की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति और रिव्यू समिति की रिपोर्ट के आधार पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डीम्ड के दर्जे को हटाने का फैसला किया था। मंत्रालय के कदम को चुनौती देते हुए विश्वविद्यालयों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने ११ जनवरी
को अशोक ठाकुर, एनके सिन्हा और एसके राय की तीन सदस्यीय समिति बनाई। टंडन समिति ने इन विश्वविद्यालयों को सी श्रेणी में रखा। इसका मतलब था कि वे डीम्ड का दर्जा बरकरार रखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
समिति के मुताबिक डीम्ड यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा करने में विफल रही हैं और उन्हें जागीर की तरह संचालित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कहा है कि ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने स्वीकार किया कि वे संबंधित राज्य के विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं और उन्हें नए पाठ्यक्रम शुरू करने, शोध कार्य करने या पीएचडी कराने के लिहाज से कामकाज की स्वायत्तता नहीं है। सरकार ने जस्टिस दलवीर भंडारी और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ को इस बात का आश्वासन दिया है कि वह छात्रों के अकादमिक हितों का ख्याल रखेगी।
देशभर में दो लाख विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में कई पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं
१. क्या कहा सुप्रीम कोर्ट की समिति ने विशेषज्ञ समिति ने इस बारे में जो निष्कर्ष निकाला था उससे अलग राय रखने का कोई मतलब नहीं है। विशेषज्ञ समिति में अकादमिक विशेषज्ञ शामिल थे।
२. क्या कहा था विशेषज्ञ समिति ने ये विश्वविद्यालय डीम्ड का दर्जा बरकरार रखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा करने में विफल रही हैं और उन्हें जागीर की तरह संचालित किया जा रहा है।

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