
धोनी ने पहले नाबाद 75 रन की जांबाज पारी खेली जिससे भारत ने आठ विकेट पर 271 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया। इसके बाद जडेजा ने 33 रन देकर चार विकेट और आर अश्विन ने 28 रन देकर तीन विकेट लिए, जिससे भारत ने इंग्लैंड को अच्छी शुरुआत का फायदा नहीं उठाने दिया और उसकी पूरी टीम 37 ओवर में 176 रन पर ढेर कर दी।
इस तरह से भारत लगातार दूसरी बार इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सरजमीं पर वनडे श्रृंखला 'क्लीन स्वीप' करने में सफल रहा। इससे पहले उसने 2008 में भी इंग्लैंड को 5-0 से हराया था। इस जीत से भारतीय टीम ने हाल में इंग्लैंड दौरे में टेस्ट, वनडे और ट्वेंटी-20 में मिली हार का बदला भी चुकता कर दिया।
भारत के लिए हालांकि यह मैच उतार-चढ़ाव वाला रहा। पहले बल्लेबाजी का न्यौता मिलने पर उसने बीच में अजिंक्य रहाणे (42), गौतम गंभीर (38) और विराट कोहली के विकेट दस गेंद के अंदर गंवा दिए। धोनी ने ऐसे में 69 गेंद पर तीन चौकों और चार छक्कों की मदद से कप्तानी पारी खेली।
इस बीच उन्हें सुरेश रैना (38) से ही कुछ अच्छा सहयोग मिला। बाद में क्रेग कीसवेटर (63) और कप्तान एलिस्टेयर कुक (60) ने पहले विकेट के लिए 129 रन की साझेदारी करके इंग्लैंड को अच्छी शुरुआत दिलाई लेकिन इसके बाद उसकी टीम ने स्पिन आक्रमण के सामने 47 रन के अंदर सभी दस विकेट गंवा दिए।
लेकिन यहीं पर मैच में ऐसा नाटकीय बदलाव आया जिस पर ईडन गार्डन और कोलकाता में ही नहीं पूरे भारत भर में पटाखे फूटने लगे। ऐसा लग रहा था इंग्लैंड के बल्लेबाज तो केवल अपना विकेट गंवाने के लिए क्रीज पर उतर रहे हैं। हर विकेट पर कम दर्शकों के बावजूद ईडन गार्डन पर शोर का डेसीबल सैकड़ों में पहुंच जाता और बाहर पटाखे फूटने लगते।
शुरुआत कप्तान कुक से हुई। वरुण आरोन की गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटों में समा गई। कुक ने 64 गेंद खेली तथा नौ चौके और एक छक्का लगाया। अगले ओवर में जडेजा ने कीसवेटर को पगबाधा आउट करके पहला विकेट लिया। इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने 61 गेंद खेली और आठ चौके जड़े।
इसके बाद तो विकेटों का पतझड़ लग गया। स्पिनरों ने ऐसे फुलझड़ियां छोड़ी कि अंग्रेजों के पास उनका कोई जवाब ही नहीं था। इंग्लैंड की तरफ से सलामी जोड़ी के अलावा केवल दो अन्य बल्लेबाज समित पटेल (18) और ग्रीम स्वान (10) ही दोहरे अंक में पहुंचे।
इससे पहले रहाणे और गंभीर ने बल्लेबाजी का न्यौता पाने वाले भारत को 17 ओवर में 80 रन जोड़कर अच्छी शुरुआत दिलाई। इन दोनों ने शुरू से ही क्रीज पर पांव जमाने को तरजीह दी। गंभीर को इस बीच 25 रन के निजी योग पर जीवनदान भी मिला। उन्हें इसका अधिक फायदा नहीं मिला और 18वें ओवर में फिन की गेंद को कट के प्रयास में वह उसे अपने विकेट पर मार गए।
अगले ओवर में ब्रेसनन की गेंद रहाणे के बल्ले को चूमती हुई कीसवेटर के दस्तानों में चली गयी। अचानक ही भारत का स्कोर बिना किसी नुकसान के 80 रन से तीन विकेट पर 80 रन हो गया। अब दो नए बल्लेबाज मनोज तिवारी (24) और रैना क्रीज पर थे। फिन ने रैना को आते ही पैवेलियन भेज दिया होता यदि दूसरी स्लिप में स्वान ने उनका आसान कैच नहीं टपकाया होता।
फिन के इस ओवर में दो चौके पड़े। पार्थिव पटेल की जगह टीम में लिए गए तिवारी ने इसके बाद स्टुअर्ट मीकर पर लगातार दो चौके जमाए लेकिन आखिर में इसी गेंदबाज ने उन्हें विकेट के पीछे कैच करा दिया। रैना और धोनी की बेहतरीन तालमेल रखने वाली जोड़ी ने 57 गेंद पर 39 रन की साझेदारी निभाई।
रैना के रन आउट होने से यह साझेदारी टूटी। भारत बल्लेबाजी पावर-प्ले में केवल 28 रन जोड़ पाया। धोनी ने इसके बाद स्वान पर दो छक्के जड़कर आधे भरे ईडन गार्डन्स में दर्शकों को रोमांचित किया।
जडेजा (21) और अश्विन (7) हालांकि उनका अधिक साथ नहीं दे पाए। इन दोनों को बाएं हाथ के स्पिनर समित पटेल ने आउट किया। भारत ने धोनी के दो और प्रवीण कुमार (16) के एक छक्के की बदौलत अंतिम दो ओवर में 39 रन बनाए।
इंग्लैंड की तरफ से बाएं हाथ के स्पिनर समित पटेल ने 57 रन देकर तीन विकेट और तेज गेंदबाज स्टीवन फिन ने 47 रन देकर दो विकेट लिए। (भाषा)
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